|| महाविद्यालय परिचय ||
जिनवाणी के प्रचार-प्रसार हेतु तत्त्वज्ञान को हृदयंगम करने वाले व वाणी में ओज धारण करने वाले विद्वानों का होना अत्यंत आवश्यक है, अतः इसी भावना के साथ आचार्य धरसेन दिगम्बर जैन सिद्धांत महाविद्यालय की स्थापना जुलाई २००८ में की गई |
इस काल में जहाँ अन्य बालक/युवा पाश्चात्य की अन्धी दौड़ में अपने धर्म व संस्कार को खोते जा रहे हैं, वहीँ इस महाविद्यालय में छात्रों को धार्मिक व नैतिक संस्कार सहित लौकिक शिक्षा व कम्प्यूटर/ अंग्रेज़ी आदि की शिक्षा प्रदान की जाती है |
इस काल में जहाँ अन्य बालक/युवा पाश्चात्य की अन्धी दौड़ में अपने धर्म व संस्कार को खोते जा रहे हैं, वहीँ इस महाविद्यालय में छात्रों को धार्मिक व नैतिक संस्कार सहित लौकिक शिक्षा व कम्प्यूटर/ अंग्रेज़ी आदि की शिक्षा प्रदान की जाती है |
पण्डित श्री धर्मेन्द्र शास्त्री के प्रचार्यत्व एवं श्री निलय जी के अधीक्षकत्व में संचालित इस महाविद्यालय में किसी जात – भाषा – प्रान्त के भेदभाव के बिना तत्त्व- रुचिवंत छात्रों को कक्षा दसवीं में प्राप्त अंको के आधार पर साक्षात्कार की प्रक्रिया के द्वारा प्रवेश दिया जाता है | दसवीं के पश्चात छात्र यहाँ रहकर प्रथम दो वर्षों में अजमेर बोर्ड (राजस्थान) की वरिष्ठ उपाध्याय परीक्षा उत्तीर्ण करके तीन वर्षों में राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय की जैनदर्शन शास्त्री (बी.ए.) की डिग्री प्राप्त करते हैं, जो पुरे भारत में मान्य है | छात्रों को भोजन, आवास, शिक्षा एवं स्वास्थ्य आदि की उच्च स्तरीय सुविधाएँ निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं |
छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए महाविद्यालय में सह- शैक्षणिक एवं शिक्षा से इतर गतिविधियाँ, साप्ताहिक गोष्ठी, प्रवचन प्रशिक्षण, साहित्यिक प्रतियोगितायें, चर्चा-समाधान, शैक्षिक भ्रमण, खेल-कूद, व्यायाम, धार्मिक विधि- विधान और संगीत-भजन आदि कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, एवं समय समय पर बाहर से आमन्त्रित विशिष्ट विद्वानों व विशेषज्ञों का मार्गदर्शन भी छात्रों को प्राप्त होता है | महाविद्यालय में मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्णाटक, छत्तीसगढ़ प्रान्तों के छात्र अध्ययन कर रहे हैं |
इसमें अब तक ५४ छात्र शास्त्री परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके हैं |
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