|| परिचय ||


अनंत तीर्थंकरों और आचार्यों की भावनाओं के अनुरूप कल्याणकारी जिनवाणी और जिनधर्म चिरकाल तक जयवन्त वर्ते – इसी मंगलमय भावना से अध्यात्मिक सत्पुरुष गुरुदेव श्री कानजी स्वामी के पुण्य प्रभावना योग में ०४ फरवरी से १० फरवरी २००६ तक अनेक विद्वानों के सानिध्य में श्री कुन्दकुन्द- कहान दिगम्बर जैन मुमुक्षु आश्रम की स्थापना हुई |

आश्रम की स्थापना के समय ही शास्त्र स्वाध्याय, पूजन, विधान, ग्रुप शिविर एवं शिक्षण-प्रशिक्षण शिविर आदि का आयोजन धर्म-शिक्षा हेतु महाविद्यालय की स्थापना की तथा जिनवाणी का प्रकाशन आदि गतिविधियाँ निरंतर संचालित हो रही हैं |

आठ बीघा क्षेत्र में फैले मुमुक्षु आश्रम में भव्य श्री शीतलनाथ जिनालय, श्री महवीर स्वामी जिनालय, श्री सीमंधर जिनालय, उत्तुंग श्री मानस्तंभ जिनालय एवं कृत्रिम पहाड़ी पर ग्यारह फीट ऊँची कायोत्सर्ग मुद्रा वाली श्री मुनिसुव्रतनाथ की प्रतिमा युक्त जिनालय हैं |


mumukshu Aashram Mandir old photo
mumukshu Aashram bhojan shaala

|| अतिथि भवन/भोजनशाला ||


मुमुक्षु आश्रम में बाहर से पधारने वाले सधर्मी मुमुक्षु बंधुओं एवं छात्रो के अभिभावकों के लिए अतिथि भवन बनाया गया है, यहाँ बाहर से पधारने वाले सधर्मियों के लिए शुद्ध भोजन की व्यवस्था भी है |

|| सत्साहित्य प्रकाशन ||


ट्रस्ट द्वारा अद्यतन अप्रक्षित एवं वर्तमान में अनुपलब्धप्रायः दिगम्बर जैन ग्रन्थ प्रकाशित करके अल्प मूल्य में साधर्मियों को स्वाध्याय हेतु उपलब्ध कराये जाते हैं | इसके अंतर्गत संयम प्रकाश सम्पूर्ण (तीन भाग) के अलावा धर्मपरीक्षा, द्रव्यसंग्रह, शान्तिसुधा, श्री जिनेन्द्र पूजन तथा सर्वार्थसिद्धि प्रश्नदीप आदि भी प्रकाशित हो चुके हैं | इसी क्रम में मूल तत्त्वार्थसूत्र, रत्नकरण्ड श्रावकाचार एवं द्रव्यसंग्रह हिंदी अर्थ सहित प्रकाशित हो चुके हैं

|| शिविरों में सहयोग ||


ट्रस्ट द्वारा अध्यात्मिक शिक्षण शिविरों, ग्रुप शिविरों एवं बाल संस्कार शिविरों के सञ्चालन में सहयोग किया जाता है |